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बवासीर क्या है?

बवासीर गुदा और मलाशय की सूजी हुई नसों की समस्या है, जो दर्द, खुजली, खून आना और सूजन का कारण बन सकती है। यह स्थिति कब्ज, गर्भावस्था, भारी वजन उठाने, मोटापा और अनियमित जीवनशैली से जुड़ी होती है। आंतरिक और बाहरी दो मुख्य प्रकार की बवासीर पाई जाती हैं, जिनके लक्षण और गंभीरता अलग-अलग हो सकते हैं। हल्के मामलों में आहार और जीवनशैली सुधार से राहत मिलती है, जबकि जटिल स्थितियों में आधुनिक उपचार जैसे लेज़र सर्जरी या अन्य प्रक्रियाओं की आवश्यकता पड़ सकती है।

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बवासीर के लक्षण

  • गुदा क्षेत्र में खुजली या जलन।
  • मल त्याग के दौरान खून आना।
  • गुदा के पास सूजन या मस्से महसूस होना।
  • दर्द, खासकर बाहरी बवासीर के मामलों में।
  • बैठने या चलने में असुविधा।
  • शौच के बाद भी पेट साफ न होने का अहसास।

बवासीर के कारण


बवासीर होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ जीवनशैली और खानपान से जुड़े होते हैं, जबकि अन्य शारीरिक स्थितियों के कारण होते हैं।

मुख्य कारण

  • कब्ज (Constipation): जब मल कठोर हो जाता है, तो उसे निकालने में अधिक जोर लगाना पड़ता है। इससे गुदा की नसों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। लंबे समय तक कब्ज रहने से गुदा क्षेत्र में सूजन आ सकती है, जो बवासीर का मुख्य कारण बनती है। फाइबर की कमी और पानी का कम सेवन कब्ज को बढ़ावा देते हैं।
  • डायरिया (Diarrhea): लंबे समय तक दस्त रहना भी बवासीर का कारण बन सकता है। बार-बार मल त्याग करने से गुदा क्षेत्र की नसें कमजोर हो जाती हैं और सूजन आ जाती है। डायरिया के दौरान गुदा क्षेत्र में जलन और चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है।
  • गर्भावस्था (Pregnancy): गर्भावस्था के दौरान बढ़ा हुआ गर्भाशय गुदा क्षेत्र की नसों पर दबाव डालता है। हार्मोनल बदलाव और वजन बढ़ने के कारण भी बवासीर का खतरा बढ़ जाता है। प्रसव के दौरान अतिरिक्त दबाव बवासीर को और गंभीर बना सकता है।
  • भारी वजन उठाना (Heavy Lifting): बार-बार भारी सामान उठाने से पेट और गुदा क्षेत्र पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। मजदूर, भारोत्तोलक (वेटलिफ्टर्स), या जिनका काम शारीरिक मेहनत से जुड़ा होता है, उनमें बवासीर का खतरा अधिक होता है।
  • कम फाइबर वाला आहार (Low-Fiber Diet): फाइबर की कमी वाला आहार मल को कठोर बना देता है, जिससे कब्ज होती है और मल त्याग के दौरान जोर लगाना पड़ता है। फाइबर युक्त आहार जैसे फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाने से इस समस्या को रोका जा सकता है।
  • मोटापा (Obesity): अधिक वजन होने पर पेट और गुदा क्षेत्र पर लगातार दबाव बना रहता है, जिससे बवासीर का खतरा बढ़ जाता है। मोटापा कब्ज का कारण बन सकता है, जो बवासीर को और गंभीर बना देता है।
  • आनुवांशिक कारण (Genetic Factors): अगर परिवार में किसी को बवासीर की समस्या रही हो, तो अगली पीढ़ी में इसके होने की संभावना अधिक होती है। यह आनुवांशिक प्रवृत्ति नसों की कमजोरी या गुदा क्षेत्र में रक्त प्रवाह की समस्याओं के कारण हो सकती है।
  • शारीरिक गतिविधि की कमी (Lack of Physical Activity): निष्क्रिय जीवनशैली या नियमित व्यायाम न करने से पाचन तंत्र धीमा हो जाता है, जिससे कब्ज की समस्या होती है। शारीरिक गतिविधि रक्त प्रवाह को बेहतर बनाती है और मल त्याग को आसान करती है।
  • गुदा क्षेत्र पर चोट या संक्रमण (Injury or Infection in Anal Area): गुदा क्षेत्र में चोट या संक्रमण होने से वहां की नसें कमजोर हो सकती हैं, जिससे बवासीर का खतरा बढ़ जाता है।
  • उम्र बढ़ना (40 वर्ष से अधिक): उम्र बढ़ने के साथ शरीर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिसमें गुदा और मलाशय की मांसपेशियां भी शामिल हैं। कमजोर मांसपेशियां मल त्याग के दौरान गुदा क्षेत्र पर अधिक दबाव डालती हैं, जिससे बवासीर हो सकता है। उम्रदराज लोगों को फाइबर युक्त आहार और पर्याप्त पानी का सेवन करना चाहिए।
  • लंबे समय तक खड़े रहना या बैठना: लंबे समय तक खड़े रहने या बैठे रहने से गुदा क्षेत्र में रक्त संचार धीमा हो जाता है, जिससे नसों पर दबाव बढ़ता है। यह समस्या उन लोगों में अधिक होती है जिनका काम लंबे समय तक खड़े रहना (जैसे ट्रैफिक पुलिस, बस कंडक्टर) या बैठे रहना (जैसे ऑफिस वर्कर्स) होता है। हर घंटे में थोड़ी देर चलने-फिरने की आदत डालने से इस जोखिम को कम किया जा सकता है।
  • कब्ज और मल त्याग के दौरान जोर लगाना: कब्ज के कारण मल कठोर हो जाता है, जिसे निकालने में जोर लगाना पड़ता है। इससे गुदा की नसों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। बार-बार कब्ज होना बवासीर का मुख्य कारण बन सकता है। कब्ज से बचने के लिए फाइबर युक्त आहार और पर्याप्त पानी का सेवन करें।
  • अनियमित जीवनशैली और खानपान: कम फाइबर वाला आहार, तला-भुना और मसालेदार खाना बवासीर का खतरा बढ़ाता है।पर्याप्त पानी न पीने से शरीर डिहाइड्रेट हो सकता है, जिससे मल कठोर हो जाता है। शराब और कैफीन जैसे पदार्थ भी मलाशय की नसों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

बवासीर के प्रकार


बवासीर (पाइल्स) को इसके स्थान और लक्षणों के आधार पर मुख्य रूप से दो प्रकारों में बांटा गया है: आंतरिक बवासीर और बाहरी बवासीर। इन दोनों प्रकारों के लक्षण, कारण और इलाज अलग-अलग हो सकते हैं। आइए इन दोनों प्रकारों को विस्तार से समझते हैं:

1. आंतरिक बवासीर (Internal Hemorrhoids)

आंतरिक बवासीर मलाशय (रेक्टम) के अंदर विकसित होती है और आमतौर पर दिखाई नहीं देती। यह गुदा के ऊपर स्थित होती है और इसमें दर्द नहीं होता क्योंकि इस क्षेत्र में दर्द महसूस करने वाली नसें नहीं होतीं।

लक्षण:

  • मल त्याग के दौरान खून आना (खून का रंग चमकीला लाल हो सकता है)।
  • मस्से बाहर निकल आना (प्रोलैप्स) और फिर अंदर चले जाना।
  • गुदा क्षेत्र में जलन या खुजली।
  • शौच के बाद भी पेट साफ न होने का अहसास।
  • कभी-कभी बलगम का रिसाव।

आंतरिक बवासीर के ग्रेड:

आंतरिक बवासीर को इसके प्रोलैप्स (मस्से का बाहर निकलना) की गंभीरता के आधार पर चार ग्रेड में बांटा गया है:

  • ग्रेड 1: मस्से अंदर रहते हैं और दिखाई नहीं देते।
  • इसमें खून आ सकता है, लेकिन मस्से बाहर नहीं निकलते।
  • ग्रेड 2: मल त्याग के दौरान मस्से गुदा से बाहर आते हैं लेकिन खुद ही वापस चले जाते हैं।
  • हल्की जलन या खुजली हो सकती है।
  • ग्रेड 3: मस्से बाहर आते हैं और उन्हें हाथ से अंदर करना पड़ता है।
  • यह स्थिति अधिक असुविधाजनक हो सकती है।
  • ग्रेड 4: मस्से हमेशा गुदा के बाहर रहते हैं और दर्दनाक हो सकते हैं।

इस स्थिति में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

बवासीर का इलाज


बवासीर का इलाज इसके प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। हल्के मामलों में घरेलू उपाय कारगर हो सकते हैं, जबकि गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।

1. घरेलू उपाय

  • सिट्ज़ बाथ: गुनगुने पानी में बैठने से सूजन कम होती है और आराम मिलता है।
  • फाइबर युक्त आहार: फल, सब्जियां, साबुत अनाज जैसे फाइबर युक्त चीजें खाने से कब्ज दूर रहती है।
  • पीना: रोजाना 8-10 गिलास पानी पीने से मल नरम रहता है।

2. दवाइयाँ

  • दर्द और सूजन कम करने के लिए क्रीम या मलहम का इस्तेमाल करें।
  • डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाएं लें जैसे स्टूल सॉफ्टनर या फाइबर सप्लीमेंट।

3. गैर-सर्जिकल प्रक्रियाएँ

  • रबर बैंड लिगेशन: मस्से पर रबर बैंड बांधकर उसका खून का प्रवाह रोका जाता है, जिससे वह सूखकर गिर जाता है।
  • स्क्लेरोथेरेपी: एक दवा इंजेक्ट की जाती है जो नसों को सिकोड़ देती है।

4. सर्जिकल इलाज

  • लेजर सर्जरी: यह आधुनिक तकनीक दर्द रहित होती है और जल्दी रिकवरी देती है। इसमें लेजर किरणों से मस्से हटाए जाते हैं।
  • हेमोरॉयडेक्टॉमी: गंभीर मामलों में मस्से काटकर हटाए जाते हैं।

SCI अस्पताल जैसी विशेषज्ञ सेवाओं वाली जगह पर जाकर आप आधुनिक तकनीकों से सही इलाज पा सकते हैं।

बवासीर का परहेज


अगर आप बवासीर से बचना चाहते हैं या इसे बढ़ने से रोकना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:

  • तले हुए और मसालेदार खाने से बचें क्योंकि ये कब्ज को बढ़ा सकते हैं।
  • रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे।
  • अपने आहार में फाइबर शामिल करें जैसे फल, सब्जियां और साबुत अनाज।
  • लंबे समय तक टॉयलेट पर बैठने की आदत छोड़ें।
  • नियमित रूप से हल्का व्यायाम करें जैसे योग या पैदल चलना।



डॉ. सुमीत शाह

MBBS, MS - General Surgery, DNB - General Surgery, General Surgeon, Laparoscopic Surgeon, Bariatric Surgeon

  • General Surgeon, Laparoscopic Surgeon, Bariatric Surgeon
  • 30+ Years Experience
डॉ. संजीव कुमार गुप्ता

MBBS, MS - General Surgery, Laparoscopic Surgeon, General Surgeon, Bariatric Surgeon

  • Laparoscopic Surgeon, General Surgeon, Bariatric Surgeon
  • 27+ Years Experience








FAQs

बवासीर खत्म करने के लिए सबसे अच्छा तरीका लेजर सर्जरी मानी जाती है। इसके अलावा, सही खानपान और डॉक्टर की सलाह भी मददगार होती है।

लेजर सर्जरी सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है क्योंकि यह दर्द रहित होती है और जल्दी ठीक हो जाती है। हल्के मामलों में घरेलू उपाय भी असरदार हो सकते हैं।

हल्के मामलों में बवासीर कुछ दिनों या हफ्तों में ठीक हो सकती है। अगर सर्जरी की जाए तो रिकवरी आमतौर पर 1-2 हफ्ते में हो जाती है।

हालांकि बवासीर सीधे कैंसर का कारण नहीं बनती, लेकिन लंबे समय तक इसे नजरअंदाज करना संक्रमण या अन्य गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है। इसलिए सही समय पर इलाज कराना जरूरी है।

हाँ, शुरुआती चरणों में घरेलू उपाय, दवाइयाँ और गैर-सर्जिकल प्रक्रियाओं से इसे ठीक किया जा सकता है। लेकिन अगर समस्या गंभीर हो जाए तो ऑपरेशन जरूरी हो सकता है। अगर आपको बवासीर की समस्या हो रही हो तो इसे नजरअंदाज न करें।

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Written By: डॉ. सुमीत शाह
Education: MBBS, MS - General Surgery, DNB - General Surgery
Experience: 30 Years

डॉ. सुमीत शाह एक अत्यंत सम्मानित और अनुभवी जनरल सर्जन, लैप्रोस्कोपिक सर्जन और बेरिएट्रिक सर्जन हैं, जिनका चिकित्सा क्षेत्र में 30 वर्षों का शानदार अनुभव है। अपने लंबे करियर के दौरान उन्होंने बवासीर, भगंदर, फिशर, पाइलोनाइडल साइनस, पित्त की पथरी और लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी जैसी कई स्थितियों के उपचार में खुद को एक अग्रणी विशेषज्ञ के रूप में स्थापित किया है। उनके गहन अनुभव और विशेषज्ञता ने उन्हें एक समर्पित और कुशल सर्जन की पहचान दिलाई है, जो हर जटिल रोग की बारीकियों को भली-भांति समझते हैं।

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